सोमवार, 6 अप्रैल 2009

पहला पन्ना


खाना खाने के बाद हम
बिस्तर पर लेटे हुए हैं
मैं थकी हुयी हूँ
वह जागा हुआ है
कुसकुसाहट सी है उसमें
लेकिन मैं सो चुकी हूँ
यही पहला पन्ना है

10 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

आकर्षक लेखन ..

अभिषेक मिश्र ने कहा…

स्वागत ब्लॉग परिवार में.

अजय कुमार झा ने कहा…

ismein koi sandeh nahin ki aapnee pehlee post hee prabhaavit karne waalee rahee, aur shaayad aapkaa ye andaaj kuchh logon ko naagwaar bhee gujre. magar yakeen maanein aap nischit hee kshamtaavaan hain. swaagat hai likhtee rahein.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

baat to meri bhi kuchh samajh nahin aayi.....!!yah kyaa hai bhaayi....!!

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

वन्या जी ,
पहली पोस्ट आपने कविता से ही शुरू की है .अच्छा प्रयास है .उम्मीद है आगे भी अच्छी रचनाएँ पढ़वायेंगी.शुभकामनायें.
हेमंत कुमार

श्यामल सुमन ने कहा…

ब्लाग देखने के बाद किसी की ये पँक्तियाँ याद आयीं-

वे कहते हैं कि आप मुझे रात भर सोने नहीं देते।
मैंने कहा आपका नूर ऐसा है कि रात होने नहीं देते।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Mohd. Sarfaraz ने कहा…

लिखना उत्तम धन
करदे मन प्रसन्न
तो आप यूँ ही लिखते रहिये
चिठ्ठा जगत में स्वागत है आपका

BAL SAJAG ने कहा…

bhavnao ko achchha shabd diya aapne aapko iske liye badhaiya.....

RAJIV MAHESHWARI ने कहा…

सुंदर अति सुंदर लिखते रहिये .......
आपकी अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा
htt:\\ paharibaba.blogspost.comm

Sanjay Grover ने कहा…

ध्यान रखिएगा, वहां तालिबान अभी सोए नहीं और यहां भी धर्म-सेनाएं जाग रही हैं। इसलिए ज़रा संभलकर, राह में भावनाओं की पुलिया अभी भी कच्ची है।