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मेरी कहानी
सुनो, सुनो!
बुधवार, 8 अप्रैल 2009
झोंका सा
वो आया मेरे जीवन में
झोंका सा
खुशनुमा
बदल गया सब कुछ
और फिर चला गया
झोंका सा
और मैं सोचती रही
झोंका सा
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मेरे बारे में
वन्या
मैं हूँ कुछ पगली सी
जैसे हवा में उड़ती पतंग
मैं हूँ कुछ सहमी सी
जैसे अधखिला कमल
मैं हूँ कुछ चंचल सी
जैसे जंगल में इठलाते पेड़
मैं हूं वन्या!
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